ब्राह्मणवादी जुल्मों के खिलाफ विद्रोह…..

ब्राह्मणवादी जुल्मों के खिलाफ विद्रोह…..

०१ जनवरी १८१८ में महाराष्ट्र में स्थित पूणे जिले के पास भीमा नदी के किनारे बसे कोरेगांव के ईस मुक्तीसंग्राम ने यह सिध्द कर दिया की संख्या कोई मायने नहीं रखती बल्की अन्याय के खिलाफ लडने की इच्छाशक्ति और मजबूत संघटन (एकता ) हो तो हम असंभव को भी संभव कर सकते है…
केवल ५०० अछूत जाती के विर जिनमें महार और परीया थे, उन्होने ब्राह्मण पेशवा के २५००० सैन्यबल को हराकर जंग जिती..
यह वास्तविकता ” विजयस्तंभ ” के रूप मे उसी जगह विराजीत है….
०१ जनवरी १९२७ को डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर जी ने इस विजय स्तंभ पर आकर नमन किया…
तब से ०१ जनवरी को शाैर्य,धैर्य और विजय का प्रतिक मानकर भारत के मूलनिवासी बहूजन यहा आकर ब्राह्मणवाद को जडमूल से उखाडकर फेकने की प्रतिग्या करते है .
साथीयो…
०१ जनवरी २०१८ को इसे २०० वर्ष पूर्ण हो रहे है….
इस उपलक्ष मे बामसेफ ने विजय का २०० वीं स्म्रुती के रूप मे दिनदर्शिका Pune में प्रकाशित की…..
इसमे २०० साल मे हूए १२ आंदोलन समाहीत है..
प्रकाशन समारोह में मूलनिवासी संघ की राष्ट्रीय नेता निलीमा भटकर, मूलनिवीसी विद्यार्थी संघ के सचिव प्रो.संजय ईंगोले, मूलनिवासी दुष्यंत पाटील जे.एच. चव्हाण, प्रो. सचिन गायकवाड, रवि मोरे…

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